- यमुना में पूजन सामग्री-फूलमाला फेंकी तो 5 हजार का जुर्माना
- एनजीटी ने यमुना किनारे निर्माण कार्यों पर भी रोक लगाई
- साथ ही निर्माण सामग्री डालने पर 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान
- 2400 मिलियन लीटर सीवेज रोजाना गिरता है यमुना में
- 22 किमी के सफर में 22 नाले
दिल्ली
में यमुना 22 किमी का रास्ता तय करती है और इस सफर में 22 नाले नदी में
गिरते हैं। पीने की तो छोड़िए, नदी का पानी नहाने लायक तक भी नहीं बचता।
निजामुद्दीन तक पहुंचते ही इसका पानी प्रदूषण के मामले में बेहद खतरनाक हो
जाता है।
- सी ग्रेड भी नहीं बची यमुना
केंद्रीय
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक अगर 100 मिमी पानी में 5000 एमपीएन
कॉलिफॉर्म हो, तो इसे पीने योग्य माना जाता है। यमुना दिल्ली में पल्ला के
रास्ते प्रवेश करती है, यहां पर इसमें कॉलिफॉर्म की मात्रा पिछले साल 7
जनवरी को 43 हजार रही। इसे ट्रीटमेंट के बाद पीने योग्य बनाया जा सकता है
और इसे सी ग्रेड में रखा जा सकता है। मगर निजामुद्दीन तक पहुंचते-पहुंचते
कॉलिफॉर्म की मात्रा 5.4 करोड़ हो गई, जबकि कालिंदी कुंज में यह संख्या
बढ़कर 16 करोड़ हो गई। मतलब डी ग्रेड।
पूजा पाठ के बाद अगर आप फूलमाला समेत पूजन सामग्री को यमुना नदी
में प्रवाहित करते आए हैं तो सावधान हो जाइए। अब ऐसा करने पर आपको 5 हजार
रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। यमुना नदी को निर्मल करने के
लक्ष्य के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मंगलवार को यह सख्त
आदेश दिया।
एनजीटी चेयरमैन जस्टिस
स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश के मुताबिक यमुना नदी में
पूजन सामग्री या किसी भी तरह का कचरा फेंकना प्रतिबंधित होगा और नियम का
उल्लंघन करने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। इसके अलावा यमुना में
निर्माण सामग्री डालने पर 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान
किया गया है। साथ ही एनजीटी ने अपनी योजना ‘मैली से निर्मल यमुना
पुनरुद्धार योजना 2017’ के तहत नदी किनारे किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर
प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- बड़ा खतरा, औद्योगिक कचरा
नदियों को सबसे ज्यादा खतरा औद्योगिक कचरे से है। फूल पत्ती जैसे जैविक कचरे को पचाने की क्षमता तो नदी में होती है, लेकिन औद्योगिक कचरे को पचाना न तो नदी के बस में है और न ही उसमें रहने वाले जीव-जंतुओं के बस में। - रवि चोपड़ा, पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट, देहरादून के निदेशक