- ऐसा न तो पहले दुनिया ने देखा, न ही भारत ने
- हार्वर्ड का यह सबसे जटिल काम
- इस माह ये पांच पुस्तकें
- द हिस्ट्री ऑफ अकबर खंड—1
- द स्टोरी ऑफ मनु
- सूफी लिरिक्स
- सूर ओशन: पोयम्स फ्रॉम द अर्ली ट्रेडीशन
- थेरीगाथा: पोयम्स ऑफ फस्र्ट बुद्धिस्ट वुमेन
हिन्दुस्तान वासियों के लिए यह खुशखबरी है कि दुनिया का जाना-माना हार्वर्ड
विश्वविद्यालय भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहरों पर 500 किताबों की एक
श्रृंखला प्रकाशित करने जा रहा है। इस काम में उनके साथ इन्फोसिस संस्थापक
नारायण मूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति हैं। प्रिंट और डिजिटल दोनों प्रारूपों
में हर साल पांच किताबें छापी जाएंगी। पहली कड़ी में अकबर, सूरदास और मनु
साहित्य समेत पांच पुस्तकें इसी माह लोकार्पित भी होने जा रही हैं। यह योजना वर्ष 2115 तक पूरी हो पाएगी। इस तरह
श्रेष्ठ भारतीय साहित्य दुनिया के सामने द्विभाषा में पहुंचेगा और हमेशा
के लिए संरक्षित और सुरक्षित रहेगा।
अनुदित साहित्य में पद्य, गद्य,
इतिहास, दर्शन, बौद्ध, मुस्लिम, हिन्दू ग्रंथ के अलावा और भी बहुत कुछ
शामिल है। जिन भाषाओं का साहित्य अंग्रेजी अनुवाद के साथ (द्विभाषा) पुस्तक
के रूप में प्रकाशित होगा , वे हैं— संस्कृत, बांग्ला, हिन्दी, कन्नड़,
मराठी, पर्सियन, प्राकृत, तमिल, तेलुगू और उर्दू। इसके अलावा और भी भारतीय
भाषाएं इसमें शामिल हैं। पुस्तकों में मूल भाषा का एक पृष्ठ होगा, उसके
सामने वाले पेज पर अंग्रेजी अनुवाद होगा।
मूर्ति लाइब्रेरी के जनरल
एडिटर शेल्डन पोलाक पहले क्ले लाइब्रेरी में थे। उन्होंने क्ले योजना बीच
में समाप्त होने पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की कार्यकारी संपादक
शर्मिला सेन से बात की। शर्मिला ने रोहन मूर्ति से उनका परिचय कराया। तब 26
वर्षीय रोहन हार्वर्ड में कंप्यूटर विज्ञान के छात्र थे। 2010 में रोहन ने
नई लाइब्रेरी की स्थापना के लिए 52 लाख डॉलर दिए।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भारतीय साहित्य छापने का जो बीड़ा उठाया है, वह कहीं अधिक वृहद, विविध व चुनौतीपूर्ण है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार हार्वर्ड का यह कार्य अब तक का सबसे जटिल है। ये पुस्तकें भारतीय इतिहास को दुनिया के सामने लाएंगी। - शेल्डन पोलाक, जनरल एडिटरमूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया