- 65 साल के भिक्षु ने बर्फीला पहाड़ काटकर बनाई सड़क
- 13 किमी लंबी सड़क लामा ने अपने पैसे और चंदे से तैयार की
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो
तबीयत से उछालो यारो..। इस जुमले को 65 वर्षीय बौद्ध भिक्षु छुटलिम छोंजोर
ने सच कर दिखाया है। उन्होंने बड़ी-बड़ी बर्फीली चट्टानों को काटकर 13 किमी
सड़क बना दी है, जिससे एक जीप आसानी से निकल सकती है। इस मार्ग के बनने से
मनाली से कारगिल की दूरी 97 किमी कम हो जाएगी।
छुटलिम
ने अपनी पूरी जमा पूंजी लगाकर और लोगों से चंदा लेकर अपने इस ख्वाब को
अंजाम दिया है। मनाली-लेह के इस शार्टकट मार्ग को बनाने का जिम्मा बीआरओ का
है, लेकिन छुटलिम ने उसके इस काम को हल्का कर दिया है। चंदे के पैसे से
उन्होंने 33 लाख की जेसीबी मशीन और डोजर खरीदा है, जो सड़क निर्माण में लगे
हैं। डीजल, चालक और मजदूर उनके अपने हैं। स्थानीय लोग भी उनकी मदद कर रहे
हैं। छुटलिम कहते हैं कि सामरिक महत्व का मनाली-लेह मार्ग बर्फ के कारण
अक्सर बंद रहता है, इसलिए उन्होंने वैकल्पिक मार्ग पदुम-शिंकुला-दारचा सड़क
को खुद ही बनाने की ठान ली है।
छुटलिम तीन
साल से अपने इस सपने को पूरा करने में लगे हैं, जिसमें अभी 13 किमी तक की
सड़क बन पाई है। इस समय बर्फबारी के कारण काम बंद है, मौसम खुलते की काम
शुरू हो जाएगा। हालांकि, पदुम से शिंकुला (हिमाचल) तक 120 किलोमीटर लंबे इस
मार्ग को बनाने का जिम्मा बीआरओ के विंग दीपक और शिंकुला से दारचा
(लेह-लद्दाख) तक हिमांक के पास है। बीआरओ ने सड़क का काम लाहौल के दारचा के
पास शुरू किया है, लेकिन बौद्ध भिक्षु ने बीच में शिंकुला दर्रा के आसपास
सड़क निर्माण का जिम्मा संभाल रखा है। बौद्ध भिक्षु की ओर से शिंकुला दर्रा
से सड़क निर्माण करने की पुष्टि उपायुक्त लाहौल-स्पीति हंसराज चौहान ने की
है। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।