कठिन को आसान करने में माहिर 'गूगल' को बीएचयू आईआईटी ने मात दे दी है। किसी ने सोचा भी न था कि इंजीनियरिंग व मेडिकल की कठिन अंग्रेजी किताबें पुरबिया भाषा में भी पढ़ने को मिल सकती हैं। अब अंग्रेजी-हिंदी में ही किताबें पढ़ने की मजबूरी से छुटकारा और अपनी भाषा भोजपुरी, मैथिली और मगही में पढ़ने-समझने का मौका बस एक क्लिक पर सामने होगा।
गौरतलब है कि उत्तर भारत के दो प्रमुख राज्य यूपी और बिहार में भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा का ही बोलबाला है। देशभर में फैले यहां के स्टूडेंट्स को टेक्स्ट अंग्रेजी-हिन्दी में होने से भाषाई दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने और टेक्स्ट बुक को टंग लैंग्वेज से जोड़ने की बीएचयू आईआईटी के डायरेक्टर प्रफेसर राजीव संगला की कोशिश आखिरकार रंग लाई है। संगला के मुताबिक, sampark.org.in पर भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा में टेक्स्ट की सुविधा उपलब्ध कराना एक क्रांतिकारी कदम है। इससे हिंदी न्यूज पेपर्स तक का पुरबिया भाषा का इलेक्ट्रॉनिक एडिशन भी क्लिक करते ही कुछ मिनटों में सामने आ जाएगा। अभी तक तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मराठी, बंगाली, पंजाबी, उर्दू, हिंदी और संस्कृत में ही टेक्स्ट उपलब्ध है। आने वाले समय में कुछ और भाषाओं को भी इससे जोड़ने की योजना है।
देश के नामी गिरामी 11 टेक्निकल और टेक्नॉलजी इंस्टिट्यूट्स के सहयोग से लंबी कोशिश के बाद बीएचयू में डिवेलप सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग से अब किसी भी भाषा के टेक्स्ट को भोजपुरी, मगही व मैथिली भाषा में पढ़ा जा सकेगा। संगला की मानें तो अगले 4-5 महीने में सैंपल देशवासियों के सामने होगा। जरूरत के मुताबिक, थोड़े बहुत सुधार या बदलाव के बाद लोगों के इस्तेमाल के लिए इसे सर्च इंजन 'संपर्क' पर लोड किया जाएगा। इसमें खास बात यह है कि इंटरनेट यूजर्स बिना कोई फीस दिए इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। गौरतलब है कि डिमांड पर सॉफ्टवेयर उपलबध कराने में भी आईआईटी पीछे नहीं रहेगा।
बीएचयू आईआईटी की लैब में इन दिनों भोजपुरी, मैथिली और मगही, तीनों ही भाषा में टेक्स्ट उपलब्ध कराने के लिए तीन चरणों में काम चल रहा है। पहले चरण में सोर्स ऑफ लैंग्वेज से भाषा का विश्लेषण, दूसरे में मूल भाषा के डिक्शनरी शब्दों का ट्रांसफर और अंतर होने पर कंप्यूटराइज्ड डिक्शनरी से शब्दों का चयन और तीसरे चरण में लैंग्वेज के हिसाब से शब्द रचना और वाक्य निर्माण के कार्यों में टीम जुटी है।