- अब गर्भ में गणित व विज्ञान सीख रहे ‘अभिमन्यु’
कभी अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ने की कला सीखी थी, आज मां के पेट में ही बच्चों की कोचिंग शुरू हो गई है। वे गणित और विज्ञान सीख रहे हैं। गर्भवती महिलाओं के माध्यम से विशेषज्ञ गर्भस्थ शिशु को पढ़ा रहे हैं और अलग-अलग जानकारियां दे रहे हैं ताकि पैदा होते ही वह दूसरों से बेहतर हो। गर्भवती महिलाएं भी इसे लेकर उत्साहित हैं और सेंटर्स का सहारा ले रही हैं।
यह होती है प्रक्रिया : पढ़ने के लिए दिमाग-आंख के बीच तालमेल की जरूरत होती है। दिमाग की कोशिकाएं और आंखें गर्भ के तीसरे महीने तक विकसित हो चुकी होती हैं। यही कारण है कि गर्भकाल के तीसरे महीने से बच्चे के ‘विजुअल आइ पाथ वे’ को उत्प्रेरित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत मां पेट पर हाथ रखकर बच्चे को शब्द लिखे हुए फ्लैश कार्ड और अलग-अलग नंबरों के डॉट कार्ड दिखाते हुए जोर से बात करते हुए उस कार्ड के बारे में बताती है। वास्तविक रूप में इसके जरिये बच्चे को कुछ सिखाया नहीं जाता बल्कि उसे शब्दों और नंबरों का एक्सपोजर दिया जाता है ताकि उसकी बुद्धि उत्प्रेरित हो।
बड़े अक्षर और आकर्षक रंग : छोटे बच्चे हर चीज को विजुवलाइज करते हैं। यही कारण है कि वे भले ही पढ़ना चार साल की उम्र के बाद से सीखें, परंतु बड़े अक्षर या विज्ञापन को आसानी से पहचान लेते हैं।
यह होती है प्रक्रिया : पढ़ने के लिए दिमाग-आंख के बीच तालमेल की जरूरत होती है। दिमाग की कोशिकाएं और आंखें गर्भ के तीसरे महीने तक विकसित हो चुकी होती हैं। यही कारण है कि गर्भकाल के तीसरे महीने से बच्चे के ‘विजुअल आइ पाथ वे’ को उत्प्रेरित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत मां पेट पर हाथ रखकर बच्चे को शब्द लिखे हुए फ्लैश कार्ड और अलग-अलग नंबरों के डॉट कार्ड दिखाते हुए जोर से बात करते हुए उस कार्ड के बारे में बताती है। वास्तविक रूप में इसके जरिये बच्चे को कुछ सिखाया नहीं जाता बल्कि उसे शब्दों और नंबरों का एक्सपोजर दिया जाता है ताकि उसकी बुद्धि उत्प्रेरित हो।
बड़े अक्षर और आकर्षक रंग : छोटे बच्चे हर चीज को विजुवलाइज करते हैं। यही कारण है कि वे भले ही पढ़ना चार साल की उम्र के बाद से सीखें, परंतु बड़े अक्षर या विज्ञापन को आसानी से पहचान लेते हैं।