- भारत में डॉक्टरों की भारी कमी के चलते नर्स प्रैक्टिसनर
- अमेरिका और यूरोप में ऐसे कोर्स प्रचलन में
- डॉक्टरों की तरह काम करने वाली नर्से तैयार होंगी
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो वर्षीय नर्स प्रैक्टिसनर कोर्स को दी मंजूरी
देश में अब ऐसी नर्से तैयार होंगी जो काफी हद तक डॉक्टरों की तरह कार्य कर
सकेंगी। वे दवा लिख सकेंगी, बीमारी की जांच के लिए टेस्ट करा सकेंगी और
छोटे-मोटे आपरेशनों को भी अंजाम दे सकेंगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने
नर्स प्रैक्टिसनर के इस नए कोर्स को मंजूरी दे दी है। अमेरिका और यूरोप में
इस किस्म का कोर्स प्रचलन में है और नर्स प्रैक्टिसनर काफी हद तक प्राथमिक
स्वास्थ्य देखभाल में डॉक्टरों का विकल्प साबित हुए हैं। लेकिन देश में
पहली बार इस विकल्प पर विचार हुआ है।
कोर्स को अगले सत्र से शुरू करने के लिए कॉलेजों को तैयारियां करने को कहा
गया है। यह दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होगा। नर्सिग का बैचलर कोर्स
करने वाली नर्से इस कोर्स को करके नर्स प्रैक्टिसनर बन सकेंगी। काउंसिल भी
कोर्स को स्वीकृत कर चुकी है। उन्हें कई मामलों में डॉक्टरों की भांति
कार्य करने का कानूनी अधिकार हासिल हो जाएगा।
अभी तक देश में एएनएम, जीएनएम, बीएससी नर्स, एमएससी नर्स जैसी जितनी भी तरह की नर्स हैं वे फिजिशयन की देखरेख में ही कार्य कर सकती हैं। लेकिन नर्स प्रैक्टिसनर को फिजिशियन के दिशानिर्देशन की जरूरत नहीं होगी। नर्स प्रैक्टिसनर मरीज की शारीरिक एवं मानसिक जांच कर सकेंगी। वे मरीज की बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट कराने को कह सकती हैं। दवा लिख सकती हैं। मरीज को रेफर करने का अधिकार होगा। छोटे ऑपरेशन कर सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार ये नर्स प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और आंतरिक चिकित्सा में डॉक्टरों का विकल्प साबित हो सकती हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के भरोसे चल रहा है। नर्स प्रैक्टिसनर के आने से लोगों को डॉक्टर का विकल्प मिल सकेगा।
अभी तक देश में एएनएम, जीएनएम, बीएससी नर्स, एमएससी नर्स जैसी जितनी भी तरह की नर्स हैं वे फिजिशयन की देखरेख में ही कार्य कर सकती हैं। लेकिन नर्स प्रैक्टिसनर को फिजिशियन के दिशानिर्देशन की जरूरत नहीं होगी। नर्स प्रैक्टिसनर मरीज की शारीरिक एवं मानसिक जांच कर सकेंगी। वे मरीज की बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट कराने को कह सकती हैं। दवा लिख सकती हैं। मरीज को रेफर करने का अधिकार होगा। छोटे ऑपरेशन कर सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार ये नर्स प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और आंतरिक चिकित्सा में डॉक्टरों का विकल्प साबित हो सकती हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के भरोसे चल रहा है। नर्स प्रैक्टिसनर के आने से लोगों को डॉक्टर का विकल्प मिल सकेगा।
देश में छह लाख डॉक्टरों की कमी है। छोटे शहरों एवं
ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी चिंता का विषय है। देश में
हर साल दो लाख नर्स तैयार होती हैं लेकिन बड़े पैमाने पर नसरे के विदेश चले
जाने से इनकी कमी बनी हुई है। 1960 के दशक में अमेरिका में डॉक्टरों की कमी के चलते
नर्स प्रैक्टिसनर का कोर्स शुरू हुआ। मशहूर फिजिशियन हेनरी सिल्वर ने इस
कोर्स को डिजाइन किया। अमेरिका में 2008 में 86 हजार नर्स प्रैक्टिसनर
थे जिनके 2025 तक 1.98 लाख होने की संभावना है। कई अन्य देशों आस्ट्रेलिया,
यूरोप में भी नर्स प्रैक्टिसनर प्राइमरी स्वास्थ्य देखभाल में एक सफल
व्यवस्था मानी जाती है।