- बनारस में गंगा की लहरों पर अनूठी पाठशाला
- काशी के मानसरोवर घाट पर बजड़े पर कुछ यूं होती है बच्चों की पढ़ाई
वाराणसी बनारस के घाटों पर एक तरफ गंगा आरती तो उसी समय दूसरी तरफ गंगा की लहरों पर चलती है अनूठी पाठशाला। विदेशियों के पीछे हाथ फैलाए दौड़ते या फिर चुंबक डाल गंगा की तलहटी से पैसा निकालने को भटकते गरीब बच्चों की तैरते बजड़े पर चलने वाली पाठशाला किसी शहरी स्कूल से कम नहीं है। यहां टीचर, ब्लैक बोर्ड, कापी- किताब ही नहीं कंप्यूटर - टीवी और लाइब्रेरी की सुविधा भी है।
मानसरोवर घाट पर है पाठशाला बनारस आने वाले सैलानी जब शाम के समय घाटों पर गंगा आरती देखने में तल्लीन रहते हैं, उस समय मानसरोवर घाट पर बोटिंग पाठशाला का समय शुरू होता है। बच्चों को उन्हीं के माहौल में पढ़ाई-लिखाई से जोड़ने की मुहिम सामाजिक संस्था ‘गुडि़या’ की है। संस्था के अध्यक्ष अजीत सिंह के मुताबिक इसके लिए खासतौर पर लिए गए बजड़े पर रोजाना तीन घंटे क्लास चलती है। बजड़े के ऊपरी हिस्से में मोटिवेशन और काउंसिलिंग सेंटर है, वहीं नीचे क्लास रूम और कंप्यूटर सेंटर बनाया गया है। मिड डे मिल की तर्ज पर बच्चों को बिस्किट-टॉफी बांटी जाती है। स्कूल जाने लायक तैयार करने की कोशिश इस स्कूल में 70 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। इनके कॉपी-किताब की व्यवस्था संस्था ही करती है। टीचर अमित संतोष और मंजू बच्चों जोड़ घटाना और अमित व उमाशंकर नशे से दूर रहने को जागरूक करने संग कंप्यूटर चलाना सीखाते हैं।
टीचरों के मुताबिक कोशिश की बच्चे स्कूलों में जाकर पढ़ने लायक तैयार हो जाएं। प्रतिभावान बच्चों के नाम स्कूलों में लिखाने की व्यवस्था भी की गई है। दुनिया के लोग देखेंगे टाटा कैपिटल ने इस पाठशाला पर शार्ट फिल्म बनाकर ऑनलाइन कैंपेन की तैयारी की है। पाठशाला को और आधुनिक बनाने में टाटा सहयोग देगा। म्यूजिक क्लास शुरु करने की योजना है।