- सुधार की कवायद
- यूपी बोर्ड की दोनों कक्षाओं का कोर्स अलग-अलग करने की तैयारी
- 12वीं में नहीं पढ़ना होगा 11वीं का कोर्स
सीबीएसई पैटर्न पर अब यूपी बोर्ड में भी ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा का कोर्स अलग-अलग होगा। कई पाठ्यक्रम समितियों ने इसका प्रस्ताव बोर्ड को सौंप दिया है और पाठ्यक्रम अलग करने की सिफारिश की है। वजह यह बताई जा रही है कि इस बदलाव से जेईई और पीएमटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में यूपी बोर्ड के अभ्यर्थियों की सफलता का ग्राफ बढ़ेगा।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए देश भर में सीबीएसई के पाठ्यक्रम को सबसे अच्छा माना जाता है। उसी आधार पर कई प्रदेशों के बोर्ड भी अपने यहां बदलाव कर रहे हैं। फिलहाल यूपी बोर्ड में 11वीं व 12वीं की किताबें एक ही होती हैं। किताबों का आधा हिस्सा 11वीं में पढ़ाया जाता है बाकी 12वीं में। 12वीं के बोर्ड एग्जाम में 11वीं व 12वीं दोनों का कोर्स पूछा जाता है। ऐसे में छात्रों को दो साल की पढ़ाई करनी होती है।
जानकारों का कहना है कि आईआईटी और पीएमटी
में 80% सवाल बारहवीं के कोर्स से पूछे जाते हैं। लेकिन यूपी बोर्ड के
बच्चे दो साल का कोर्स एक साथ पढ़ने के कारण बच्चे पूरी तरह फोकस नहीं कर
पाते हैं। यही वजह है कि यूपी बोर्ड के बच्चों का प्रतियोगी परीक्षाओं में
प्रदर्शन बाकी बोर्ड की तुलना में काफी खराब है।
विज्ञान के कई विषयों की पाठ्यक्रम समितियों ने कोर्स अलग करने का प्रस्ताव बोर्ड को सौंप दिया है और 2016 से ही कोर्स अलग करने की सिफारिश की है। अगले सत्र से बदलाव की सिफारिश 11वीं और 12वीं का कोर्स एक होने से बच्चों पर दोहरा बोझ पड़ता था। कोर्स अलग हो जाने से हमारे बच्चे भी कम्पटीशन में दूसरे बोर्डों का मुकाबला कर सकेंगे। - महबूब अली, माध्यमिक शिक्षा मंत्री