- बच्चों को मिलेगी होमियोपैथी दवा
- नर्स और आशा के पास होंगी साधारण बीमारियों की दवाएं
- दस ब्लाक में शुरू हुआ प्रयोग देश भर में फैलेगा
पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत अब सरकारी नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) को होमियोपैथी का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बच्चों की साधारण स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए साथ ही इन्हें दवा की किट भी मुहैया करवाई जाएगी। केंद्र सरकार ने यह योजना पायलट के तौर पर दस ब्लाक में शुरू की है।
आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथी) मंत्रलय ने बताया है कि इसके तहत काम करने वाले केंद्रीय होमियोपैथी शोध परिषद (सीसीआरएच) ने बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए एक विशेष कार्यक्रम तैयार किया है। ‘स्वस्थ्य बचपन के लिए होमियोपैथी’ कार्यक्रम के तहत नवजात और छोटे बच्चों को होने वाली सामान्य समस्याओं का पता लगाने, उनकी जांच करने और समाधान करने की व्यवस्था की गई है। शुरुआत के तौर पर दस ब्लाक में सरकारी एएनएम (सहायक नर्स), स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इनके प्रशिक्षण में घरेलू नुस्खों से इन समस्याओं के समाधान के तरीके तो बताए ही गए हैं। इसके अलावा समय से इनके समाधान के लिए होमियोपैथी इलाज का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। साथ ही इन्हें सामान्य बायोकैमिक (होमियोपैथी दवा) की किट भी मुहैया करवाई जा रही है।
इसी तरह आयुष मंत्रलय ने आयुर्वेद में बताए गौमूत्र और पंचगव्य के उपयोग से संबंधित शोध को भी तेज कर दिया है। खाद्य पदार्थो के खराब होने या शरीर के बूढ़े होने की प्रक्रिया को रोकने में गौमूत्र के महत्व पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) इन दिनों नागपुर स्थित गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के साथ मिल कर शोध कर रहा है। साथ ही आयुर्वेदिक डाक्टरों के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में पंचगव्य के महत्व को पढ़ाया जा रहा है। केंद्रीय आयुर्वेद शोध परिषद (सीसीआरए) ने इस संबंध में कई शोधपत्र भी प्रकाशित किए हैं। आयुर्वेद के मुताबिक गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर को मिला कर तैयार किए गए पंचगव्य का उपयोग विभिन्न दवाएं तैयार करने में होता है।