- स्कूलों में बहेगी अभिनव प्रयोगों की बयार
- हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से तैयार करायी जाएगी प्रयोगों की केस स्टडी
- विद्यालयों में आजमाए जा रहे शिक्षकों के मौलिक आइडिया को मिलेगा विस्तार
उत्तर प्रदेश के एक स्कूल के शिक्षक ने विद्यालय के दरवाजे
को ज्यामिति बॉक्स के चांदे के आकार का बनवाया। दरवाजा खुलने पर उसमें
अलग-अलग कोण बनते हैं। इससे बच्चों को कोणों के बारे में दुरुस्त जानकारी
मिलती है। एक और स्कूल की सीढ़ियों को इस तरह से रंगा गया है कि उस पर ऊपर
की ओर चढ़ने पर बच्चे संख्याओं का जोड़ और गुणा सीख सकते हैं और नीचे उतरते
वक्त घटाना और भाग देना। एक अन्य स्कूल की दीवारों, चहारदीवारी और गमलों
पर वहां के शिक्षकों ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से भौतिकी के
आधारभूत सिद्धांत इस कदर सहज-सुलभ तरीके से पेंट किए हैं जिससे कि बच्चे
उन्हें आसानी से समझ सकें।
शिक्षकों के खोजे और स्कूलों में साकार किए गए ऐसे अभिनव प्रयोगों की बयार अब सभी राजकीय और अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में बहेगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अरबिंदो सोसाइटी के साथ करार किया है। करार के तहत अरबिंदो सोसाइटी सभी माध्यमिक विद्यालयों में जमीन पर उतारे गए ऐसे अभिनव प्रयोगों को संकलित करेगी। शर्त यह होगी कि इन अभिनव प्रयोगों पर कोई अतिरिक्त निवेश न हुआ हो। पहले जिला और फिर प्रदेश स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद इनमें से 25 सर्वश्रेष्ठ अभिनव प्रयोगों को चुना जाएगा और अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की मदद से इनमें से प्रत्येक की केस स्टडी तैयार की जाएगी। केस स्टडी को सोसाइटी प्रकाशित कराकर सभी माध्यमिक विद्यालयों को भेजेगी। प्रत्येक स्कूल के लिए यह बाध्यकारी होगा कि वह इनमें से कम से कम एक अभिनव प्रयोग को अपने यहां अमली जामा पहनाए। यदि जरूरत महसूस हुई तो स्कूलों को प्रयोगों को लागू करने का प्रशिक्षण देने के लिए सोसाइटी की ओर से कार्यशाला आयोजित की जाएगी। अरबिंदो सोसाइटी इस व्यवस्था को दस साल तक नि:शुल्क चलाएगी।
शिक्षकों के खोजे और स्कूलों में साकार किए गए ऐसे अभिनव प्रयोगों की बयार अब सभी राजकीय और अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में बहेगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अरबिंदो सोसाइटी के साथ करार किया है। करार के तहत अरबिंदो सोसाइटी सभी माध्यमिक विद्यालयों में जमीन पर उतारे गए ऐसे अभिनव प्रयोगों को संकलित करेगी। शर्त यह होगी कि इन अभिनव प्रयोगों पर कोई अतिरिक्त निवेश न हुआ हो। पहले जिला और फिर प्रदेश स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद इनमें से 25 सर्वश्रेष्ठ अभिनव प्रयोगों को चुना जाएगा और अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की मदद से इनमें से प्रत्येक की केस स्टडी तैयार की जाएगी। केस स्टडी को सोसाइटी प्रकाशित कराकर सभी माध्यमिक विद्यालयों को भेजेगी। प्रत्येक स्कूल के लिए यह बाध्यकारी होगा कि वह इनमें से कम से कम एक अभिनव प्रयोग को अपने यहां अमली जामा पहनाए। यदि जरूरत महसूस हुई तो स्कूलों को प्रयोगों को लागू करने का प्रशिक्षण देने के लिए सोसाइटी की ओर से कार्यशाला आयोजित की जाएगी। अरबिंदो सोसाइटी इस व्यवस्था को दस साल तक नि:शुल्क चलाएगी।
- सम्मान का पैमाना बनेंगे नए प्रयोग
जिस अभिनव प्रयोग को सबसे ज्यादा स्कूल लागू
करेंगे, उसे विजेता घोषित किया जाएगा। जिस शिक्षक द्वारा खोजा गया अभिनव
प्रयोग सबसे ज्यादा आजमाया जाएगा, उसे भी सम्मानित किया जाएगा। जिस जिले
में सबसे ज्यादा अभिनव प्रयोग लागू किए जाएंगे, उस जिले को भी पुरस्कृत
किया जाएगा। सबसे ज्यादा अभिनव प्रयोगों को लागू करने वाले स्कूल को भी
सम्मानित किया जाएगा।
- एक धेला भी अतिरिक्त खर्च नहीं
प्रमुख सचिव
माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार कहते हैं कि इस नई व्यवस्था के लागू होने
पर कई फायदे होंगे। स्थानीय स्तर पर अभिनव प्रयोग करने वाले शिक्षक को
शोहरत मिलेगी। उसका अनूठा आइडिया पूरे प्रदेश में प्रचारित हो सकेगा। इससे
शिक्षकों और स्कूलों के बीच नए प्रयोगों को विकसित करने और उन्हें आजमाने
की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि इसमें माध्यमिक
शिक्षा विभाग को एक धेला भी अतिरिक्त खर्च या मौद्रिक निवेश नहीं करना
होगा।