- बार-बार KYC कराने के झंझट से मिलेगा छुटकारा
- केवाईसी रिकॉर्ड सेंट्रल रजिस्ट्री में रखा जाएगा, जो इसी महीने तैयार हो रहा
अब जल्द ही आपको हर फाइनेंशियल इकाई के साथ रिश्ता शुरू करने के साथ हर बार नो योर कस्टमर यानी KYC देने से मुक्ति मिल सकती है। KYC का एक बार वेरिफिकेशन हो जाने के बाद इसका झंझट दूर हो सकता है। आपका KYC रिकॉर्ड सेंट्रल रजिस्ट्री में रखा जाएगा, जो इसी महीने तैयार हो रहा है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस इकाई के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और यह जल्द ही काम करने लगेगा। इससे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस में कागजी कामों और लालफीताशाही
कम हो सकेगी।
फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां, स्टॉक मार्केट समेत तमाम फाइनेंशियल इकाइयां इसके दायरे में आएंगी।’ मिसाल के तौर पर इस प्रक्रिया की शुरुआत बैंक के लिए किसी कस्टमर की तरफ से KYC के बारे मे ब्यौरा देने से शुरू होती है। बैंक इन डिटेल्स को रजिस्ट्री को सौंपेंगे, जो दस्तावेजों की पड़ताल कर KYC जांच का सर्टिफिकेट जारी करेगा। इसके बाद कहीं भी नया खाता खोले जाने पर इस प्रमाण को पेश किया जा सकता है। साथ ही, जरूरत पड़ने पर इसमें किसी भी तरह का बदलाव आप बैंक या अन्य जगहों पर कर सकते हैं और यह रजिस्ट्री में अपडेट हो जाएगा। परमानेंट एकाउंट नंबर, आधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्री नंबर को पहचान पत्र के तौर पर माना जाएगा।
स्टॉक मार्केट प्रॉडक्ट्स के लिए कॉमन KYC का प्रावधान है, लेकिन बैंक और इंश्योरेंस के लिए ऐसा नहीं है। ग्राहकों को एक ही संस्थान पर हर बैंकिंग प्रॉडक्ट के लिए अलग-अलग KYC देना होता है। मिसाल के तौर पर सेविंग्स बैंक एकाउंट का KYC फिक्स्ड डिपॉजिट एकाउंट खोलने में काम नहीं करता है। ऐसे में नया फाइनेंशियल प्रॉडक्ट हासिल करना बोझिल हो जाता है। इस कदम से सरकार को ब्लैकमनी और मनी लाउंडरिंग जैसी चुनौतियों से भी निपटने में मदद मिलेगी।